मेरे और उसके दरमियाँ इक ऐसी चीज है
जो दुआओं और मिन्नतों से नहीं मिलती
खुशनसीबी में शुमार हो जाते हैं वो
जिन्हें ज़िन्दगी में ये चीज मिलती है
मेरे दिल में किया जिसने इसे पैदा
वो कोई और नहीं सिर्फ मेरी अनीसा है
धूप, शबनम, परछाईं रहे प्यार के 'शाहिद'
तड़प, बेबसी से घिरी मेरी अनीसा है
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
15th June 02, '167'
जो दुआओं और मिन्नतों से नहीं मिलती
खुशनसीबी में शुमार हो जाते हैं वो
जिन्हें ज़िन्दगी में ये चीज मिलती है
मेरे दिल में किया जिसने इसे पैदा
वो कोई और नहीं सिर्फ मेरी अनीसा है
धूप, शबनम, परछाईं रहे प्यार के 'शाहिद'
तड़प, बेबसी से घिरी मेरी अनीसा है
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
15th June 02, '167'
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