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Wednesday, April 16, 2014

कभी उन्हें रातों से हुआ करता था प्यार

कभी उन्हें रातों से हुआ करता था प्यार
आज करते हैं वो उजले दिन पे एतवार

सफ़र इश्क़ का है संभल -संभल के चलो साथियो
यहाँ कदम -कदम पे होना होता है रूबरू-ए-खार

प्यार जीत का ही नाम नहीं होता ऐ मुहब्बत परस्तो
अक्सर इश्क़ से बावस्ताओं को शक्ले जीत में मिलती है हार

जिस्म की बात सब करते हैं दिल की बात कोई नहीं
शायद जहाँ में मौजूद नहीं रह गया वो हीर का प्यार

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
31 st Jan. 02, '235'

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