कभी उन्हें रातों से हुआ करता था प्यार
आज करते हैं वो उजले दिन पे एतवार
सफ़र इश्क़ का है संभल -संभल के चलो साथियो
यहाँ कदम -कदम पे होना होता है रूबरू-ए-खार
प्यार जीत का ही नाम नहीं होता ऐ मुहब्बत परस्तो
अक्सर इश्क़ से बावस्ताओं को शक्ले जीत में मिलती है हार
जिस्म की बात सब करते हैं दिल की बात कोई नहीं
शायद जहाँ में मौजूद नहीं रह गया वो हीर का प्यार
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
31 st Jan. 02, '235'
आज करते हैं वो उजले दिन पे एतवार
सफ़र इश्क़ का है संभल -संभल के चलो साथियो
यहाँ कदम -कदम पे होना होता है रूबरू-ए-खार
प्यार जीत का ही नाम नहीं होता ऐ मुहब्बत परस्तो
अक्सर इश्क़ से बावस्ताओं को शक्ले जीत में मिलती है हार
जिस्म की बात सब करते हैं दिल की बात कोई नहीं
शायद जहाँ में मौजूद नहीं रह गया वो हीर का प्यार
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
31 st Jan. 02, '235'
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