लोग मुझे पागल देवाना हैं कहने लगे
जब से तुम हो मिले- जब से तुम हो मिले
यूँ छत पे बैठ के सोचता रहता हूँ
जब से तुम हो मिले- जब से तुम हो मिले
ज़िन्दगी का हर लम्हा खुशगवार हो गया
जब से तुम हो मिले- जब से तुम हो मिले
जीने की ललक आसमां तक पहुँच गयी
जब से तुम हो मिले- जब से तुम हो मिले
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
8th Dec. 02 , '217'
जब से तुम हो मिले- जब से तुम हो मिले
यूँ छत पे बैठ के सोचता रहता हूँ
जब से तुम हो मिले- जब से तुम हो मिले
ज़िन्दगी का हर लम्हा खुशगवार हो गया
जब से तुम हो मिले- जब से तुम हो मिले
जीने की ललक आसमां तक पहुँच गयी
जब से तुम हो मिले- जब से तुम हो मिले
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
8th Dec. 02 , '217'
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