सब मौसम बेमौसम से हो गए हैं
जब से वो हमसे दूर हो गए हैं
घड़ी की टिक-टिक से चलती है अब दुनिया
ख्वाब तो जैसे अब चूर हो गए हैं
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
30 Oct. 13, '281'
जब से वो हमसे दूर हो गए हैं
घड़ी की टिक-टिक से चलती है अब दुनिया
ख्वाब तो जैसे अब चूर हो गए हैं
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
30 Oct. 13, '281'
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