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Monday, April 14, 2014

यूँ तो शबो- रोज वो पन्नों को काले किया करता है

यूँ तो शबो- रोज वो पन्नों को काले किया करता है 
लोग कहते हैं वो तो कविता लिखा करता है 

जद्दो जहद तो ज़िन्दगी का हिस्सा हुआ करता है 
जाने क्यूँ वो बार-बार किताबे-ज़िन्दगी पढ़ा करता है 

दिल में दर्द, आँखों में पानी और लव पे हल्की मुस्कराहट 
अरे जनाब मुहब्बत के सफ़र में ऐसा ही हुआ करता है 

ग़ज़ल और नज़्म लिखना तो इक बहाना है 'अजनबी'
वो शायर तन्हाईयों में हाले दिल लिखा करता है 

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
6th Apr. 04  '181'


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