अलविदा -अलविदा -अलविदा
दो दिल हो रहे हैं अब ये जुदा
ऐ मेरे हमनशीं, हमनवा, हमसफ़र
न जा मुझे छोड़कर, न हो हमसे जुदा
न रहा अब वो शायर न रहा वो 'अजनबी'
उजड़ गयी उसकी दुनिया वो है ग़मजदा
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
21st June. 03, '198'
दो दिल हो रहे हैं अब ये जुदा
ऐ मेरे हमनशीं, हमनवा, हमसफ़र
न जा मुझे छोड़कर, न हो हमसे जुदा
न रहा अब वो शायर न रहा वो 'अजनबी'
उजड़ गयी उसकी दुनिया वो है ग़मजदा
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
21st June. 03, '198'
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