तुम्हें पाने की बहुत बड़ी भूल थी
मैं तो खार ठहरा तुम तो फूल थी
तुम तो सहरा के मानिंद थे ऐ दोस्त
वहां पानी की जुस्तुजू बड़ी भूल थी
तुम एक बार ज़माने से लड़ने की कहते तो
हाँ मुझे तेरी हर आजमाइश क़ुबूल थी
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
5th Jan. 07, '269'
मैं तो खार ठहरा तुम तो फूल थी
तुम तो सहरा के मानिंद थे ऐ दोस्त
वहां पानी की जुस्तुजू बड़ी भूल थी
तुम एक बार ज़माने से लड़ने की कहते तो
हाँ मुझे तेरी हर आजमाइश क़ुबूल थी
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
5th Jan. 07, '269'
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