वो हमराज़ था तुम हमसफ़र हो
ज़िन्दगी अब तुम मेरी नज़र हो
जिससे गिरते हैं खुशियों के फूल सदा
हमनशीं तुम तो चमन के वो शजर हो
तेरी आँख देख के हर कोई ये कह दे
जुरूर तुम किसी के प्यार से तर-बतर हो
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
24th May. 04 , '199'
ज़िन्दगी अब तुम मेरी नज़र हो
जिससे गिरते हैं खुशियों के फूल सदा
हमनशीं तुम तो चमन के वो शजर हो
तेरी आँख देख के हर कोई ये कह दे
जुरूर तुम किसी के प्यार से तर-बतर हो
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
24th May. 04 , '199'
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