सुना है तुम नज्में लिखते हो
सुना है तुम ग़ज़लें कहते हो
सुना है तुम कविता करते हो
सुना है तुम रुबाईयाँ सुनते हो
मुसव्विर हो नहीं
मगर मुसव्विर सा दिल रखते हो
- मुह्म्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
29th Nov. 12
सुना है तुम ग़ज़लें कहते हो
सुना है तुम कविता करते हो
सुना है तुम रुबाईयाँ सुनते हो
मुसव्विर हो नहीं
मगर मुसव्विर सा दिल रखते हो
- मुह्म्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
29th Nov. 12
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