खुशियों की ज़मीं
खुशियों का आसमां
खुशियों का हो गुलशन
खुशियों की हों दीवारें
और इस प्यारे घर में
खनके तेरी हंसी
और रहें हम दोनों
तमाम उम्र नहीं
ताउम्र तक
रोज़ी और शाहिद !!!
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
29 Mar. 2008, '268'
खुशियों का आसमां
खुशियों का हो गुलशन
खुशियों की हों दीवारें
और इस प्यारे घर में
खनके तेरी हंसी
और रहें हम दोनों
तमाम उम्र नहीं
ताउम्र तक
रोज़ी और शाहिद !!!
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
29 Mar. 2008, '268'
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