मेरी हर धड़कन की है तुमको कसम
मेरी हर सांस की है तुमको कसम
गर न आये तुम मेरे ऐ सनम
ये दिल नाराज़ होगा मेरे ऐ सनम
आख़िरी घड़ी तक तेरा इंतज़ार करेंगे सनम
आ जाओ वरना खुद जां निकल जाएगी सनम
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
5th Dec.01, '215'
मेरी हर सांस की है तुमको कसम
गर न आये तुम मेरे ऐ सनम
ये दिल नाराज़ होगा मेरे ऐ सनम
आख़िरी घड़ी तक तेरा इंतज़ार करेंगे सनम
आ जाओ वरना खुद जां निकल जाएगी सनम
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
5th Dec.01, '215'
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