हिम्मत थी किसी और की
बढ़ गया हौसला किसी और का
ज़माने से खुद तो लड़ा ही
मुझे भी लड़ना सिखा दिया
खुद से रूठा , दुनिया से रूठा
अपनों से भी रूठ गया
बस इतनी सी बात के लिए -
मैं खुश हूँ कि नहीं
मेरे लवों पे मुस्कान है या नहीं
मेरी आँखों में रोशनाई है या नहीं
बस उल्फत की इक चमक
पाने के लिए मेरी आँखों में !!!
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
15th May. 02, '210'
बढ़ गया हौसला किसी और का
ज़माने से खुद तो लड़ा ही
मुझे भी लड़ना सिखा दिया
खुद से रूठा , दुनिया से रूठा
अपनों से भी रूठ गया
बस इतनी सी बात के लिए -
मैं खुश हूँ कि नहीं
मेरे लवों पे मुस्कान है या नहीं
मेरी आँखों में रोशनाई है या नहीं
बस उल्फत की इक चमक
पाने के लिए मेरी आँखों में !!!
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
15th May. 02, '210'
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