तजुर्बा
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Thursday, May 08, 2014
तेरी याद बहुत टूट के आती है
तेरी याद बहुत टूट के आती है
मैं अब तक उन यादों के
कारवां से बाहर न निकल सका
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
25.08.13, '312'
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