फिर से नई उम्मीद
नया जोश, नए अहसास
कुछ कर गुजरने की प्यास
खुद से नए वादे, नई कसमें
और उन्हें पुरजोर करने की कोशिश
बारगाहे इलाही में आज हाथ उठे हैं
पूरी हों तमन्नाएँ जो मेरी भी हैं
मगर किसी और के लिए ज़िन्दा हैं
पूरी दुनिया का प्यार मिले
और वो सब कुछ मिले जो
मुझे चाहिए और
मेरे अहसासों से जुड़े
पागलपन से लबरेज
लोगों को चाहिए !!!
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
1 st Jan. 06 , '238'
नया जोश, नए अहसास
कुछ कर गुजरने की प्यास
खुद से नए वादे, नई कसमें
और उन्हें पुरजोर करने की कोशिश
बारगाहे इलाही में आज हाथ उठे हैं
पूरी हों तमन्नाएँ जो मेरी भी हैं
मगर किसी और के लिए ज़िन्दा हैं
पूरी दुनिया का प्यार मिले
और वो सब कुछ मिले जो
मुझे चाहिए और
मेरे अहसासों से जुड़े
पागलपन से लबरेज
लोगों को चाहिए !!!
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
1 st Jan. 06 , '238'
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