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Wednesday, April 16, 2014

वो खुद को किये हैं हम से दूर

वो खुद को किये हैं हम से दूर
कहते हैं हम हैं मजबूर

वो तो सिमट के बैठे हैं और
हम हैं उनके नशे में चूर

कोशिश की नाता तोड़ दूँ मय से
न जाने क्यूँ कम होता नहीं सुरूर

जी करता है जाऊं कहीं जमाने से दूर
'अजनबी' मुहब्बत के सफ़र में नहीं जाते दूर

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
27th June. 05, '228'

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