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Tuesday, April 15, 2014

वो बड़ी -बड़ी आँखे

वो बड़ी -बड़ी आँखे
मासूम सा चेहरा 
और खुले हुए गेसू 
गुलाबों सी मुस्कराहट 
सब कुछ तमन्ना लिए मगर 
कुछ न कहते हुए लबरेज होंठ 

हम और तुम और 
इक अनजानी सी जमाने की दीवार 
ठंडी हवाएं , पत्तों पे शबनम और 
हम दोनों की पल भर की तबस्सुम 
उन्हें इंतज़ार कि हम  कुछ कहें और 
हमें इंतज़ार कि वो कुछ कहें 
मगर दोनों चुप 
बस इशारों का वजूद और
निगाहों का सामयाना 
इन्हीं दोनों ने कह दिया 
मेरे प्यार का सारा अफसाना  !!!

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
27th Feb. 04, '212'

Dedicated to that person who got, all of a sudden & came in my life & very early make a part of my life. who, i can never forget.
please my best friend......



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