कभी-कभी मैंने कोशिश की है
कि तुमको भुलाऊं इक पल के लिए
मगर मैं खुद को न भूल पाया
उस पल के लिए
जमीं रूठ गयी आसमां रूठ गया
ज़िन्दगी टूट गयी और हम भी टूट गए
छा गयी फिजा में खामोशी
उस पल के लिए
दिल में अजब सा हुआ अहसास
जग उठी मिलन की अनचाही प्यास
और मैं ये सब न सह पाया
उस पल के लिए !!!
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
15 th Mar. 03, '221'
कि तुमको भुलाऊं इक पल के लिए
मगर मैं खुद को न भूल पाया
उस पल के लिए
जमीं रूठ गयी आसमां रूठ गया
ज़िन्दगी टूट गयी और हम भी टूट गए
छा गयी फिजा में खामोशी
उस पल के लिए
दिल में अजब सा हुआ अहसास
जग उठी मिलन की अनचाही प्यास
और मैं ये सब न सह पाया
उस पल के लिए !!!
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
15 th Mar. 03, '221'
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