कोई ख़ुशी में मुब्तिला कोई ग़मों से घिरा
सब उसी के हैं यहाँ कोई नहीं है मेरा
मेरे दिल की बाटी जली कुछ इस तरह
ऐ ज़िन्दगी न रहा बाकी कोई सिरा
हाले ज़िन्दगी क्या पूछते हो साथियो
दर्द तो मिला खूब ख़ुशी मिलीजरा जरा
तेरे मेरे में सिमट के रह गयी दुनिया
मेरी कसौटी पर न उतरा कोई खरा
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
24th Sep. 02, '197'
सब उसी के हैं यहाँ कोई नहीं है मेरा
मेरे दिल की बाटी जली कुछ इस तरह
ऐ ज़िन्दगी न रहा बाकी कोई सिरा
हाले ज़िन्दगी क्या पूछते हो साथियो
दर्द तो मिला खूब ख़ुशी मिलीजरा जरा
तेरे मेरे में सिमट के रह गयी दुनिया
मेरी कसौटी पर न उतरा कोई खरा
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
24th Sep. 02, '197'
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