आज फिर लिखा
मेरी क़लम ने तुम्हें
फिर उठे जज़्बात
फिर हुआ अहसास
शायद ज़िन्दगी फिर हुयी
आज न जाने क्यूँ उदास
दोस्त तुम फिर याद आये
वो साँसें, वो आन्हें, वो झरोखे
सब कुछ बार -बार याद आये
वो हाथों में हाथ और
रस्ते में रोना याद आये
वो माजी की बातें और
कल के सपने भूल न पाए
यहाँ तक कि फिर उठा
वो जान से प्यारा 'नया दर्द'
पूरी हो वो प्यारी तमन्ना
और हमारा सफ़र आसान हो
ऐ हमसफ़र - ऐ हमसफ़र
आज तन्हा है 'अजनबी'
बाहों में लेकर रुला दो मुझे
और हमेशा के लिए
दूर कर दो तन्हाई - तन्हाई
- मुहम्मद शाहिदमंसूरी 'अजनबी'
10th Dec. 04 '207'
This poem is dedicated to my beloved Aneesa , who come in my life very quickly plz..plz...
मेरी क़लम ने तुम्हें
फिर उठे जज़्बात
फिर हुआ अहसास
शायद ज़िन्दगी फिर हुयी
आज न जाने क्यूँ उदास
दोस्त तुम फिर याद आये
वो साँसें, वो आन्हें, वो झरोखे
सब कुछ बार -बार याद आये
वो हाथों में हाथ और
रस्ते में रोना याद आये
वो माजी की बातें और
कल के सपने भूल न पाए
यहाँ तक कि फिर उठा
वो जान से प्यारा 'नया दर्द'
पूरी हो वो प्यारी तमन्ना
और हमारा सफ़र आसान हो
ऐ हमसफ़र - ऐ हमसफ़र
आज तन्हा है 'अजनबी'
बाहों में लेकर रुला दो मुझे
और हमेशा के लिए
दूर कर दो तन्हाई - तन्हाई
- मुहम्मद शाहिदमंसूरी 'अजनबी'
10th Dec. 04 '207'
This poem is dedicated to my beloved Aneesa , who come in my life very quickly plz..plz...
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