ज़िन्दगी में कब कौन साथ देता है
चलना तो अकेले ही पड़ता है
राहें होती हैं, धूल होती है
निशाने कदम होते हैं
हम होते हैं और हमारी शै होती है
घबराते क्यूँ हो ऐ रूहे दिल
गर तेरे साथ तेरी मुश्किलें हैं
तो तेरे साथ तेरी क़लम भी है
जो सब कुछ बदल सकती है
तुम अपने को अकेला क्यूँ कहते हो
गर कुछ नहीं है तेरे साथ तो
आज भी वो आवारापन , पागलपन
और वो सूनापन तेरे साथ है 'अजनबी'
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
27th June. 05, '222'
चलना तो अकेले ही पड़ता है
राहें होती हैं, धूल होती है
निशाने कदम होते हैं
हम होते हैं और हमारी शै होती है
घबराते क्यूँ हो ऐ रूहे दिल
गर तेरे साथ तेरी मुश्किलें हैं
तो तेरे साथ तेरी क़लम भी है
जो सब कुछ बदल सकती है
तुम अपने को अकेला क्यूँ कहते हो
गर कुछ नहीं है तेरे साथ तो
आज भी वो आवारापन , पागलपन
और वो सूनापन तेरे साथ है 'अजनबी'
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
27th June. 05, '222'
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