उम्मीद है -
आसमानों में उड़ने की
ज़िन्दगी से लड़ने की
कुछ ऐसा कर गुजरने की
जो दे जाए लम्हा भर सुकून
और एक टुकड़ा हसीं ज़िन्दगी
मगर न जाने क्यूँ
टूट रहे हैं वादे
बिखर रही है ज़िन्दगी
डगमगा रहे हैं ख्वाब
लगता है कुछ भी न रहा अपना
कभी खुद से हूँ नाराज़ तो
कभी औरों से हूँ नाराज़
सिमट सा गया कारवां
ठहर से गए ख्यालात
कुछ पाने के हौसले जाते रहे
कुछ खोने का डर भी न रहा
न जाने क्या हुआ -
अभी भी उम्मीद का चिराग
जला हुआ है
कोशिशें ज़िन्दा हैं !
'अजनबी' उठो ! जागो !
तुम्हारा वजूद तुम्हें पुकार रहा है
कुछ कर गुजरने का बाट जोह रहा है
कसम लो और करो पागलपन
हमेशा ज़िन्दगी का शाहिद होने के लिए !!!
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
1st Jan. 05 '205'
Dedicated to Pagalpan
आसमानों में उड़ने की
ज़िन्दगी से लड़ने की
कुछ ऐसा कर गुजरने की
जो दे जाए लम्हा भर सुकून
और एक टुकड़ा हसीं ज़िन्दगी
मगर न जाने क्यूँ
टूट रहे हैं वादे
बिखर रही है ज़िन्दगी
डगमगा रहे हैं ख्वाब
लगता है कुछ भी न रहा अपना
कभी खुद से हूँ नाराज़ तो
कभी औरों से हूँ नाराज़
सिमट सा गया कारवां
ठहर से गए ख्यालात
कुछ पाने के हौसले जाते रहे
कुछ खोने का डर भी न रहा
न जाने क्या हुआ -
अभी भी उम्मीद का चिराग
जला हुआ है
कोशिशें ज़िन्दा हैं !
'अजनबी' उठो ! जागो !
तुम्हारा वजूद तुम्हें पुकार रहा है
कुछ कर गुजरने का बाट जोह रहा है
कसम लो और करो पागलपन
हमेशा ज़िन्दगी का शाहिद होने के लिए !!!
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
1st Jan. 05 '205'
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