मत पुकारे कोई मुझे
नहीं सुनना चाहता
मैं किसी की आवाज़
मुझे धुंध में ही रहने दो
मुझे खुद में गुम रहने दो
नहीं जुरुरत मुझे किसी कंधे की
मैं टूटता हूँ
मुझे टूटने दो।
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
12nd Feb. 2010 '252'
नहीं सुनना चाहता
मैं किसी की आवाज़
मुझे धुंध में ही रहने दो
मुझे खुद में गुम रहने दो
नहीं जुरुरत मुझे किसी कंधे की
मैं टूटता हूँ
मुझे टूटने दो।
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
12nd Feb. 2010 '252'
No comments:
Post a Comment