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Tuesday, April 15, 2014

उसने अपनी आँखों में मयखाना छुपा रखा है

उसने अपनी आँखों में मयखाना छुपा रखा है 
लोग कहते हैं उसने कोई अन्जाना छुपा रखा है 

यूँ तो उसका हर क़दम माय का इक क़तरा है 
फिर भी उसने सीने में इक पैमाना छुपा रखा है 

उसके होठों के हिलने से बहार आ जाती है 
शायद लवों के दरमियाँ इक तराना छुपा रखा है 

महफिल में कहते-कहते रुक जाता है वो देखकर 
मैंने सुना है उसने इक याराना छुपा रखा है 

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी' 
12th. Dec. 02, '190'

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