उसने अपनी आँखों में मयखाना छुपा रखा है
लोग कहते हैं उसने कोई अन्जाना छुपा रखा है
यूँ तो उसका हर क़दम माय का इक क़तरा है
फिर भी उसने सीने में इक पैमाना छुपा रखा है
उसके होठों के हिलने से बहार आ जाती है
शायद लवों के दरमियाँ इक तराना छुपा रखा है
महफिल में कहते-कहते रुक जाता है वो देखकर
मैंने सुना है उसने इक याराना छुपा रखा है
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
12th. Dec. 02, '190'
लोग कहते हैं उसने कोई अन्जाना छुपा रखा है
यूँ तो उसका हर क़दम माय का इक क़तरा है
फिर भी उसने सीने में इक पैमाना छुपा रखा है
उसके होठों के हिलने से बहार आ जाती है
शायद लवों के दरमियाँ इक तराना छुपा रखा है
महफिल में कहते-कहते रुक जाता है वो देखकर
मैंने सुना है उसने इक याराना छुपा रखा है
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
12th. Dec. 02, '190'
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