सारी दुनिया को समझा तुझे न जाना
ऐ मेरी ज़िन्दगी मेरी शहाना
दर्द मेरा बड़ा गहरा रिश्ता है
मेरी ज़िन्दगी तुम काँटों से मत सजाना
तुम्हारे हौसलों से कायम है मेरे हौसले
इन हौसलों से तुम दामन मत छुड़ाना
टूटकर हम बिखर ही क्यूँ न जाएँ 'अजनबी'
मगर मेरी ज़िन्दगी से तुम मत जाना
अफज़ल और शहाना का रिश्ता ताक़यामत कायम रहे
या खुदा मुहब्बत परस्तों को ज़माने से बचाना
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
19th Dec. 02, '184'
ऐ मेरी ज़िन्दगी मेरी शहाना
दर्द मेरा बड़ा गहरा रिश्ता है
मेरी ज़िन्दगी तुम काँटों से मत सजाना
तुम्हारे हौसलों से कायम है मेरे हौसले
इन हौसलों से तुम दामन मत छुड़ाना
टूटकर हम बिखर ही क्यूँ न जाएँ 'अजनबी'
मगर मेरी ज़िन्दगी से तुम मत जाना
अफज़ल और शहाना का रिश्ता ताक़यामत कायम रहे
या खुदा मुहब्बत परस्तों को ज़माने से बचाना
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
19th Dec. 02, '184'
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