झूठे हैं दोस्त, झूठें हैं वादे, झूठा है संसार
एक दिल है सच्चा और झूठा है प्यार
खुद को फ़ना किया मैंने कई बार
मगर अफ़सोस न हुआ ऐ मेरे यार
गुलमोहर, गुलाबों में उसने गुजारे दिन
मेरे हिस्से में आये मुहब्बत के खार
राहे इश्क़ है संभल -संभल के चल 'अजनबी'
गर सोचोगे जीत तो पाओगे हार
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
एक दिल है सच्चा और झूठा है प्यार
खुद को फ़ना किया मैंने कई बार
मगर अफ़सोस न हुआ ऐ मेरे यार
गुलमोहर, गुलाबों में उसने गुजारे दिन
मेरे हिस्से में आये मुहब्बत के खार
राहे इश्क़ है संभल -संभल के चल 'अजनबी'
गर सोचोगे जीत तो पाओगे हार
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
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