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Monday, April 14, 2014

झूठे हैं दोस्त, झूठें हैं वादे, झूठा है संसार

झूठे हैं दोस्त, झूठें हैं वादे, झूठा है संसार 
एक दिल है सच्चा और झूठा है प्यार 

खुद को फ़ना किया मैंने कई बार 
मगर अफ़सोस न हुआ ऐ मेरे यार 

गुलमोहर, गुलाबों में उसने गुजारे दिन 
मेरे हिस्से में आये मुहब्बत के खार

राहे इश्क़ है संभल -संभल के चल 'अजनबी'
गर सोचोगे जीत तो पाओगे हार 

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'

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