आप से हुए तुम
तुम से हुआ ऐसा इज़हार
कि हमको हो गया तुमसे प्यार
रहने लगी हर पल तुम्हारी सोच
और तुम्हारा ही ख्याल
किताबों में नज़र आने लगे तुम
बातों में याद आने लगे तुम
होने लगी रातों को बातें
और ख्वाबों में प्यारी मुलाकातें
दौर आया कसमों और वादों का
और न बिछड़ने के इरादों का
कभी आरजू , कभी तमन्ना हो गयी तुम
अब तो ज़िन्दगी की हर ख़ुशी हो गयी तुम
यादों की घटायें छाने लगीं
मुहब्बत के बादल बरसने लगे
हर इक राज़ के हो गए तुम हमराज़
और मैंने काटा तन्हा सफ़र
क्योंकि हो न सके तुम हमसफ़र
हमसफ़र ! हमसफ़र ! हमसफ़र !
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
2nd Mar. 04 '211'
तुम से हुआ ऐसा इज़हार
कि हमको हो गया तुमसे प्यार
रहने लगी हर पल तुम्हारी सोच
और तुम्हारा ही ख्याल
किताबों में नज़र आने लगे तुम
बातों में याद आने लगे तुम
होने लगी रातों को बातें
और ख्वाबों में प्यारी मुलाकातें
दौर आया कसमों और वादों का
और न बिछड़ने के इरादों का
कभी आरजू , कभी तमन्ना हो गयी तुम
अब तो ज़िन्दगी की हर ख़ुशी हो गयी तुम
यादों की घटायें छाने लगीं
मुहब्बत के बादल बरसने लगे
हर इक राज़ के हो गए तुम हमराज़
और मैंने काटा तन्हा सफ़र
क्योंकि हो न सके तुम हमसफ़र
हमसफ़र ! हमसफ़र ! हमसफ़र !
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
2nd Mar. 04 '211'
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