या रब बस यही तुझसे इक फरियाद करता हूँ
मिला दे उससे जिसे मैं दिन-रात याद करता हूँ
सोचता रहता हूँ , तड़पता रहता हूँ
इक झलक दिखा दे जिसे मैं याद करता हूँ
मैंने अपने दिल को तेरा मंदिर बना लिया है
बस अब लम्हा-लम्हा तुझे याद करता हूँ
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
15th july. 2000, '236'
मिला दे उससे जिसे मैं दिन-रात याद करता हूँ
सोचता रहता हूँ , तड़पता रहता हूँ
इक झलक दिखा दे जिसे मैं याद करता हूँ
मैंने अपने दिल को तेरा मंदिर बना लिया है
बस अब लम्हा-लम्हा तुझे याद करता हूँ
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
15th july. 2000, '236'
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