हो दूर रिश्तों की कड़वाहट
हर लव पे हो मुस्कराहट
ख़त्म हों ये दर्दनाक हादसे
हों सराबोर मुहब्बत के प्यासे
बन्द हों नफरत की ये गोलियां
हर तरफ गूंजें प्यार की बोलियाँ
अमृतसर से लाहौर हम जाएँ और
ढेर सारे फूल प्यार के ले आयें
सरहदों पे न रहें बंदिशें
हम जाएँ और जीत लें एक दुसरे का दिल !!!
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
20 th Mar. 04 '177'
हर लव पे हो मुस्कराहट
ख़त्म हों ये दर्दनाक हादसे
हों सराबोर मुहब्बत के प्यासे
बन्द हों नफरत की ये गोलियां
हर तरफ गूंजें प्यार की बोलियाँ
अमृतसर से लाहौर हम जाएँ और
ढेर सारे फूल प्यार के ले आयें
सरहदों पे न रहें बंदिशें
हम जाएँ और जीत लें एक दुसरे का दिल !!!
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
20 th Mar. 04 '177'
No comments:
Post a Comment