मेरे काजल ने तुमको पुकारा है
मेरी पायल ने तुमको पुकारा है
मेरे महबूब आ भी जाओ
मेरे जिस्मों जां ने तुमको पुकारा है
दिल बहलता नहीं खुद के मनाने से
न उल्फत का कोई नग़मा सुनाने से
मेरी ज़िन्दगी के सहर आ भी जाओ
रात के हर पहलू ने तुमको पुकारा है
मेरी पायल ने तुमको पुकारा है
मेरे महबूब आ भी जाओ
मेरे जिस्मों जां ने तुमको पुकारा है
मेरी हर सांस तुमको पुकारती है
मेरी हर अदा तुमको पुकारती है
मेरे दिल के मालिक आ भी जाओ
मेरे लव , मेरे आरिज ने तुमको पुकारा है
दिल बहलता नहीं खुद के मनाने से
न उल्फत का कोई नग़मा सुनाने से
मेरी ज़िन्दगी के सहर आ भी जाओ
रात के हर पहलू ने तुमको पुकारा है
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
2nd Apr. 02, '155'
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