चन्द बोतलें कतार बद्ध
किसी में पीला
किसी में सफ़ेद
किसी में काला पानी
धुआं सा आसमान
गर्द के गुबार में
एक अजीब सा शोर
जिस पर बहके हुए
थिरकते कदम
सारे मासूम चेहरे
लग्जिशों में तब्दील हो गए
उनके मुंह की मिठास
आज ज़हर में बदल गयी
उनके होठों तले से
दिल को चुभाने वाले
लफ़्ज़ों का
सैलाब उमड़ पड़ा !
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
20th Nov. 01, '141'
किसी में पीला
किसी में सफ़ेद
किसी में काला पानी
धुआं सा आसमान
गर्द के गुबार में
एक अजीब सा शोर
जिस पर बहके हुए
थिरकते कदम
सारे मासूम चेहरे
लग्जिशों में तब्दील हो गए
उनके मुंह की मिठास
आज ज़हर में बदल गयी
उनके होठों तले से
दिल को चुभाने वाले
लफ़्ज़ों का
सैलाब उमड़ पड़ा !
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
20th Nov. 01, '141'
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