देखते -देखते, उनको आईना
न जाने क्या हुआ
कि
अपने काजल से
आईने पे ही
मेरा नाम लिख दिया
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
14 Mar. 02 , '147'
न जाने क्या हुआ
कि
अपने काजल से
आईने पे ही
मेरा नाम लिख दिया
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
14 Mar. 02 , '147'
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