सिर्फ
नाराजगी की खातिर
प्यार के लिए
मुहब्बत के वास्ते
हर चीज लुटा सकता हूँ
ज़िन्दगी फ़ना कर सकता हूँ
बस तुम्हारे लिए
हाँ तुम्हारे लिए
सिर्फ तुम्हारे लिए
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
3rd Nov. 01, '162'
नाराजगी की खातिर
प्यार के लिए
मुहब्बत के वास्ते
हर चीज लुटा सकता हूँ
ज़िन्दगी फ़ना कर सकता हूँ
बस तुम्हारे लिए
हाँ तुम्हारे लिए
सिर्फ तुम्हारे लिए
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
3rd Nov. 01, '162'
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