1. यूँ गेसुओं के साए में अपने चेहरे को न छिपाया कीजिये
करीब न आओ मगर दूर से ही मुस्कराया कीजिये
2. लाख दे ज़माना लाख पहरे मगर
दीवानों को मिलने से रोक न सकेगी
3. किताबे मुहब्बत का हर उसूल उसने न पढ़ा होगा
वरना रोते-रोते वो हंस के दिखा देता
4. तुम क्या समझो , तुम क्या जानो
मुहब्बत क्या चीज होती है
बस इक वही समझता है मुहब्बत
जिसकी नस-नस में मुहब्बत बसी होती है (01.04.02)
5. न रही वो कसक ही बाकी
न रही वो तड़प ही ज़िन्दा
मुहब्बत हुयी ही रुसवा
मुहब्बत परस्त हुए शर्मिंदा (17.06.02)
6. ख़ुशी कहें या दर्द कहें
मुस्कराहट कहें या आंसू कहें
ज़िन्दगी तू ही बता दे आज
तुझे क्या कहें ! क्या कहें ! (31.12.05)
7. मेरा अपना अलग इक कायदा है
मगर उसका कोई फायदा नहीं
अशआर तो लिख दूँ तुम्हें मगर
तेरे दिल में मेरे अशआर का पायदा नहीं
क्योंकि ................................................( 05.06.01)
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
करीब न आओ मगर दूर से ही मुस्कराया कीजिये
2. लाख दे ज़माना लाख पहरे मगर
दीवानों को मिलने से रोक न सकेगी
3. किताबे मुहब्बत का हर उसूल उसने न पढ़ा होगा
वरना रोते-रोते वो हंस के दिखा देता
4. तुम क्या समझो , तुम क्या जानो
मुहब्बत क्या चीज होती है
बस इक वही समझता है मुहब्बत
जिसकी नस-नस में मुहब्बत बसी होती है (01.04.02)
5. न रही वो कसक ही बाकी
न रही वो तड़प ही ज़िन्दा
मुहब्बत हुयी ही रुसवा
मुहब्बत परस्त हुए शर्मिंदा (17.06.02)
6. ख़ुशी कहें या दर्द कहें
मुस्कराहट कहें या आंसू कहें
ज़िन्दगी तू ही बता दे आज
तुझे क्या कहें ! क्या कहें ! (31.12.05)
7. मेरा अपना अलग इक कायदा है
मगर उसका कोई फायदा नहीं
अशआर तो लिख दूँ तुम्हें मगर
तेरे दिल में मेरे अशआर का पायदा नहीं
क्योंकि ................................................( 05.06.01)
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
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