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Friday, April 11, 2014

मेरे और उसके दरमियाँ इक ऐसी चीज है

मेरे और उसके दरमियाँ इक ऐसी चीज है
जो दुआओं और मिन्नतों से नहीं मिलती

खुशनसीबी में शुमार हो जाते हैं वो
जिन्हें ज़िन्दगी में ये चीज मिलती है

मेरे दिल में किया जिसने इसे पैदा
वो कोई और नहीं सिर्फ मेरी अनीसा है

धूप, शबनम, परछाईं रहे प्यार के 'शाहिद'
तड़प, बेबसी से घिरी मेरी अनीसा है

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
15th June 02, '167'

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