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Wednesday, April 16, 2014

लोग मुझे पागल देवाना हैं कहने लगे

लोग मुझे पागल देवाना हैं कहने लगे
जब से तुम हो मिले- जब से तुम हो मिले

यूँ छत पे बैठ के सोचता रहता हूँ
जब से तुम हो मिले- जब से तुम हो मिले

ज़िन्दगी का हर लम्हा खुशगवार हो गया
जब से तुम हो मिले- जब से तुम हो मिले

जीने की ललक आसमां तक पहुँच गयी
जब से तुम हो मिले- जब से तुम हो मिले

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
8th Dec. 02 , '217'

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