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Tuesday, April 15, 2014

तन्हा इक अजनबी से मिला

तन्हा इक अजनबी से मिला
हुआ हासिल उसे इक सिला

झूम उठे नस-नस का लहू
कोई ऐसी शराब उसे पिला

ज़िन्दगी बन जाये इक नगमा
ऐ खुदा ! हमसफ़र ऐसा मिला

कभी ख़त्म न हो ऐसी खुशबू
मुहब्बत का ऐसा गुल खिला

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
10th Nov. 01, '192'

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