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Tuesday, April 15, 2014

अलविदा -अलविदा -अलविदा

अलविदा -अलविदा -अलविदा 
दो दिल हो रहे हैं अब ये जुदा 

ऐ मेरे हमनशीं, हमनवा, हमसफ़र 
न जा मुझे छोड़कर, न हो हमसे जुदा

न रहा अब वो शायर न रहा वो 'अजनबी' 
उजड़ गयी उसकी दुनिया वो है ग़मजदा

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
21st June. 03, '198'

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