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Thursday, April 17, 2014

शिकायत

उसको मुझसे शिक़ायत है
मैंने उसे याद नहीं किया
मुझे उससे शिक़ायत है
उसने मुझे याद नहीं किया
सितारे गवाह बन जाओ
चाँद भी उस शक्ल मैं आओ
जब मैंने उसे याद किया

ऐ जामे मुहब्बत तुझे साकी की क़सम
बता मेरे महबूब को याद की इंतिहा
मैंने उसे कितना याद किया-
रात डूब गयी , सितारे टूट गए
ऐ मेरी बेचैन करवटें तू ही बता
मैंने उसे कितना याद किया

माना ख्याल झूठे सही
अब ख्वाब तुम ही बताओ
मैंने उसे कितना याद किया !!!

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
7th June. 2007,'248'

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