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Saturday, April 26, 2014

सर पे टोपी, हाथों में रुमाल आ गया

सर पे टोपी, हाथों में रुमाल आ गया 
मुबारक माहे रमज़ान का साल आ गया 

जंज़ीरों में क़ैद हो गया इब्लीस 
और दिल में काबे का ख़याल आ गया 

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
29th June. , 12, '280'

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