Followers

Saturday, April 26, 2014

ये वो भरम है जो चेहरे पे झलक आता है

ये वो भरम है जो चेहरे पे झलक आता है
हुस्न का पैमाना हो तो जरूर छलक जाता है

साकी ये तो मयखाने का उसूले पैमाना है
जिसे भरा पैमाना दो, वो  छलक जाता है

उस दीवाने का आलम बड़ा ही अजीब है जनाब
खुद को अजनबी बताता है औरों के गले तलक आता है

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी
2nd Aug. 05, '276'

No comments:

Post a Comment