Followers

Wednesday, April 16, 2014

शायर नहीं, हाले दिल लिखता है 'अजनबी'

न तुम बेवफा, न हालात बेवफा , हम हैं बेवफा 
ज़िन्दगी खुश है मगर हम हैं ख़फा

तुमसे रूठने को कभी कहा ही नहीं दिल ने 
तेरे जज्बातों के साथ मैंने की है जफा 

तेरे लायक ही नहीं अब तो मैं ऐ दोस्त 
आओ और मुझे कहकर पुकारो ऐ बेवफा 

शायर  नहीं, हाले दिल लिखता है 'अजनबी'
दुनिया समझती है वो है मुझसे ख़फा

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
15th June. 01, '231'

No comments:

Post a Comment