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Saturday, April 12, 2014

अजीब इत्तेफाक

अजीब इत्तेफाक 
अजीब बात 
नए दर्द की सालगिरह 
और 
किसी और की मुबारकबाद 

वो चर्चे नहीं, वो यादें नहीं 
वो हम नहीं, वो तुम नहीं 
तुम्हारे दिल में कुछ ख्वाब और
मेरे दिल में कुछ खयालात
शायद 
वो वक़्त ही अजीब था , जब 
मेरे पास एक नहीं 
थे सौ-सौ सवालात 
मगर 
'हाँ' कहती हुयी 'न' नहीं
थमी सी ज़िन्दगी रुकी सी ज़िन्दगी 
हाय! वो नए दर्द की चर्चा नहीं  !!

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
16 th Oct. 03, '176'

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