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Friday, April 11, 2014

चन्द बोतलें कतार बद्ध

चन्द बोतलें कतार बद्ध
किसी में पीला
किसी में सफ़ेद
किसी में काला पानी
धुआं सा आसमान
गर्द के गुबार में
एक अजीब सा शोर
जिस पर बहके हुए
थिरकते कदम

सारे मासूम चेहरे
लग्जिशों में तब्दील हो गए
उनके मुंह की मिठास
आज ज़हर में बदल गयी

उनके होठों तले से
दिल को चुभाने वाले
लफ़्ज़ों का
सैलाब उमड़ पड़ा  !

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
20th Nov. 01, '141'

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