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Wednesday, April 09, 2014

कुछ अशआर- 1

1.  आज वो है खुशकिस्मत 
     जिसे कहते हैं आपका 
     आज आपके दामन में हों लाख खुशियाँ 
     पर न हो कोई ग़म 
    बस यही दुआ है "अजनबी" की 
आपके लिए- आपके लिए 

2. भेज रहा हूँ कुछ पंक्तियाँ 
  इन्हें समझना शाहिद 
लगाना इसे अपने दिल से 
न हो जाना इससे "अजनबी"

3. जब भी मेरे पास तन्हाई होती है 
  तू मेरे करीब होती है 

4. जिसे आदर्श बना के बनाते हैं शे'र 
बैठा है जब वो सामने तो कितनी है देर 

5. दर्द कभी लगता है 
तो कभी चुभता है 
लेकिन 
एक पल में 
जिस्म का हिस्सा बन जाता है

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"

2nd June, 1999

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