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Thursday, May 08, 2014

मेरी डायरी

मेरी डायरी
ये मेरी अपनी ज़िन्दगी का फ़साना है
जो कभी बयां ही न हो सका

- शाहिद अजनबी
20.07.09, '347'

( कानपुर में लिखा गया रोज़ी के साथ )

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