तजुर्बा
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Wednesday, May 07, 2014
सब जानते हैं वक़्त की चाल
सब जानते हैं वक़्त की चाल मुक़र्रर है
फिर क्यूँ इतनी जल्दी
पाने की तू कोशिश करता है
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी '
10.05.13, '299'
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