कभी- कभी ये भी मेरे लिए नज़्म हो जाती है -
हमें बहुत खुशी हो रही है की आज हम हमारे ख़त को पुरा करने जा रहे है।
हमें इतनी खुशी कभी नही हुई जितनी आज हो रही है।
लग रहा है की मेरी जो तमन्ना थी वोह आज पुरी हो गई है।
हमें आज पुरी तरह से ब्लॉग पर काम करना आ गया है।
और यह सब मेरे प्यारे से दोस्त की वजह से हुआ है अगर वोह नही मिलता तो शायद हमें कुछ भी नही आता।
उसी ने हमको जीना सिखाया है ।
उसका एहसान हम ज़िन्दगी भर नही भूल सकते है ।
हम
दोनों में कितनी भी लड़ाई हो जाए लेकिन अगर कोई हमसे कहे की तुम अपने
दोस्त को भूल जाओ तो मेरा जवाब यही होगा की हम पुरी दुनिया को भूल सकते है
मगर उसको कभी नही भूल सकते है ।
और भी उसने बहुत कुछ सिखाया है ।
वोह मेरा अच्छा और प्यारा दोस्त "मोहम्मद शाहिद मंसूरी है "
rozy
11.08.09, '350'
( कानपुर में लिखा गया मेरे साथ रोज़ी ने )
( कानपुर में लिखा गया मेरे साथ रोज़ी ने )
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