तजुर्बा
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Wednesday, May 07, 2014
आँखों में आंसू पड़े थे
आँखों में आंसू पड़े थे पर सदा तुझको न दी
इस तवक्को पर कि शायद तू पलट कर देखता
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
30.01.08, '306'
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