शक्ले हंसी में ग़म दिखाई देते हैं
वो लाख छुपाये सब दिखाई देते हैं
वो लाख छुपाये सब दिखाई देते हैं
वो इतनी जोर से हँसता है
कि सारे ग़म सुनाई देते हैं
झूठ बोलने का हुनर कोई उनसे सीखे
जाने क्यूं बेवजह सफाई देते हैं
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
17th Jan. 12 , '283'
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