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Thursday, May 08, 2014

हर दिन और हर रात




हर दिन और हर रात ,मैं ग़म में रहता हूँ
मेरी हंसीं अब तेरे लवों से आती है

---शाहिद मंसूरी "अजनबी"
24.07.2012, '332'

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